Writing confusions
हरे रंग का पत्ता ,
सटा हुआ डाली से,
सजा हुआ पन्ने सा,
हरे रंग का पत्ता ,
पंछी नहीं फिर भी पंछी सा चहकता,
धीमी हवा के साथ पंख जैसा उड़ता,
बारिश की बूंदों से निखर जाता,
एक सूरज की किरण से दमक जाता,
हरे रंग का पत्ता ,
बारीक़ सा, हल्का सा,
सरल इतना बयार सहला जाती,
सहज इतना हर किरण पार हो जाती,
हरे रंग का पत्ता ,
बस जड़ो से जुडाव था ,
रंगत में मिट्टी का दुलार था,
हरा रंग पत्ते का सिंगार था,
बढ़ रहा था प्रेम से,
हरे रंग का पत्ता ,
वो अनजान कहर से धूप के,
कुम्भला गया,
वेग् न सह पाया,
गिरा जमीन पर आंधी से,
लुप्त हुआ हरा रंग,
क्षुप्त हुआ जीवन,
जुड़ा था जड़ो से ,
तने से लिपट गया,
हरे रंग का पत्ता ,
सोच रहा था,
न बहुत रह पाया ,
मैं, संग पेड़ के,
पास यहीं ,
खाद बन जाऊंगा ,
लिया ही बस जीवन पर्यंत मैने,
मिला मिट्टी में खुद को , “कर” चुकाऊंगा,
रंग ही मेरा जीवन पर्याय,
मैं हूँ पत्ता, हरे रंग का….
बहुत खूब 👌
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Nyc written….
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Thank you!
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