Writing confusions
बात थी नामालूम सी,
कहीं दिल में दबी थी,मेरे बचपन से जवानी तक,
गली के नुक्कड़ खड़ी थी,
बात थी नामालूम सी,
कहीं दिल में दबी थी,अलविदा ओ शहर,
चले दूर अपने और परायों से,
बस वही ,
हर मोड़ पर मिली थी,
बात थी नामालूम सी,
कहीं दिल में दबी थी,किस्से कहां हैं पुराने,
अब बातों में,
बस वही एक ललक,
महक पसरी हुई थी,
रोशनी से उड़ती हुई,
मेरी घर की मिट्टी सी,
मेरे वजूद से जुड़ी थी,बात थी नामालूम सी,
कहीं दिल में दबी थी,रह गया पीछे पुराना,
चल पड़ा मैं आगे कहीं,
पलटती हैं आंखें मेरी,बस वह एक मुस्कुराहट,
धड़कन में बसी थी,
बात थी नामालूम सी,
कहीं दिल में दबी थी,
कुछ शुरू से, कुछ खत्म सी,
बात थी नामालूम सी
बहुत खूब
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थैंक्यू 🙏🏼
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Kyaa baat hai ….
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बेहतरीन
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बहुत अच्छा
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