Writing confusions
गिद्ध, भेड़िए और लोमड़ी
सब बैठें हैं, ताक में
लाशों के अंबार में।
कौन बचाए मुर्दों को
भूखों का खाना बनने से,
लोमड़ी जैसी आखों से,
जंगली चोचों और पंजो से।
थोड़े बचे हुए,
झांक रहे दरारों से
लूटी उम्मीद, बुझे चेहरे
चीख रहे अंधियारों से।
गिद्ध, भेड़िए और लोमड़ी
सब बैठें हैं ताक में,
फटने लगा आसमान
पैने दांतों वाले ठहाकों से,
आए कौन बचाने मुर्दों को
यहां जिंदा जलाए श्मशानों में,
गिद्ध, भेड़िए और लोमड़ी
सब बैठें हैं ताक में,
जानें किसके सिर सेहरा था
इस लाशों की बारात का,
क्या जानवर, कौन इंसान
किसका चेहरा, जात क्या,
कौन बताए अंतर मुर्दों में,
कुछ सांसों का फेर और क्या।
गिद्ध, भेड़िए और लोमड़ी
सब बैठें हैं ताक में,
सच को दर्शाने वाली गुढ़ अभिव्यक्ति वाली रचना है ।🙏🏻
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धन्यवाद्
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बहुत दिनों बाद एक बेहतरीन रचना पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ और कई बार पढ़ा.. बहुत ही गूढ़ अर्थ लिए हुए समाज का यथार्थ चित्रण!!!
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बहुत बहुत आभार 😇
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Thankyou… aapke shabd mere liye bahut mayaane rakhte hain… thankyou
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शानदार,जानदार,जबरदस्त👌👌
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शुक्रिया 🙏🏼
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