Writing confusions
गिद्ध, भेड़िए और लोमड़ीसब बैठें हैं, ताक में कौन पहले हाथ मरेगा लाशों के अंबार में। कौन बचाए मुर्दों कोभूखों का खाना बनने से,लोमड़ी जैसी आखों से,जंगली चोचों और पंजो से। थोड़े बचे हुए,झांक रहे दरारों सेलूटी उम्मीद, बुझे चेहरेचीख रहे अंधियारों से। गिद्ध,… Continue Reading “गिद्ध और लोमड़ी”
बात थी नामालूम सी, कहीं दिल में दबी थी,मेरे बचपन से जवानी तक, गली के नुक्कड़ खड़ी थी, बात थी नामालूम सी, कहीं दिल में दबी थी,अलविदा ओ शहर, चले दूर अपने और परायों से, बस वही , हर मोड़ पर मिली थी, बात… Continue Reading “नामालूम सी बात”