Writing confusions
गिद्ध, भेड़िए और लोमड़ीसब बैठें हैं, ताक में कौन पहले हाथ मरेगा लाशों के अंबार में। कौन बचाए मुर्दों कोभूखों का खाना बनने से,लोमड़ी जैसी आखों से,जंगली चोचों और पंजो से। थोड़े बचे हुए,झांक रहे दरारों सेलूटी उम्मीद, बुझे चेहरेचीख रहे अंधियारों से। गिद्ध,… Continue Reading “गिद्ध और लोमड़ी”
मैं हूं साधारण, आम हूँ मैं, दो हाथ दो पैर, दो- दो आँख और कान, सब कुछ सामान्य, सहज सबके सामान! साधारण हूँ मैं, खास जो होता है , मुझमे नही है, सब जैसा हूँ मैं, पर मुझ जैसे सब नहीं हैं, इसीलिए हूं… Continue Reading “साधारण”
यूँ ही अरमान निकला….. आज हवाओ में, तैरकर, उड जाऊ परिंदों सा, पंख फैला कर, यूँ ही अरमान निकला…. पार कर जाऊ बन्दिशे सारी, सुनूं न किसी की, उड़ान भर लूँ बस. यूँ ही अरमान निकला….. कुछ और भी अरमान होंगे , तैरते हुये,… Continue Reading “उड़ान का अरमान”