Writing confusions
inspiration quotes, motivation
आखर आखर, मिलकर शब्द बने, शब्द से वाक्य बने, जब आखर अखरे, जब शब्द बिखरे, तब वाक्य, विष बुझे बाण बने, क्या लिखूं, फैला विष जब, देह में, रहा ना अछूता, कोई अंग, हृदय था कोमल, निर्मल सा, जला विष से , हुआ बदरंग,… Continue Reading “आखर”
छान रहा, सारा ब्रह्मांड, यह धरती का मानव, ले जीवन की अभिलाषा, तोड़ धरती का विश्वास, रहा चिंघाड़ खुले अंतरिक्ष में, यह धरती का मानव, भेद दिए सारे ग्रह, जीवन-तत्वों की आस, जल,वायु, मिट्टी, गगन और धरती जैसा प्रकाश, खोजे विज्ञान, भेज कर यान,… Continue Reading “धरती का मानव”
मैं हूं साधारण, आम हूँ मैं, दो हाथ दो पैर, दो- दो आँख और कान, सब कुछ सामान्य, सहज सबके सामान! साधारण हूँ मैं, खास जो होता है , मुझमे नही है, सब जैसा हूँ मैं, पर मुझ जैसे सब नहीं हैं, इसीलिए हूं… Continue Reading “साधारण”
यूँ ही अरमान निकला….. आज हवाओ में, तैरकर, उड जाऊ परिंदों सा, पंख फैला कर, यूँ ही अरमान निकला…. पार कर जाऊ बन्दिशे सारी, सुनूं न किसी की, उड़ान भर लूँ बस. यूँ ही अरमान निकला….. कुछ और भी अरमान होंगे , तैरते हुये,… Continue Reading “उड़ान का अरमान”
हार क्यों मानूं, जब तुम हो साथ, जब मैं हूं तुम्हारा अंश, हार क्यों मानूं, जब आदि तुम ही हो, अंत भी तुम हो, जब जीवन तुमसे, मृत्यु तुम हो, जब लाभ हानि भी तुम हो, जब सुख तुम हो व्याधि तुम हो, जब… Continue Reading “हार क्यों मानूं”
सोचती हूं क्या लिखूं, अपने नाम के साथ तुम्हारा नाम लिखूं, बार बार श्याम लिखूं मुझे, तुम साथ रहो यह अरमान लिखूं, सोचती हूं क्या लिखूं, तुम को साथ साथ उड़ा कर ले चलूंं, तुमको बादल खुद को हवा लिखूं, छिप जाऊँ सांझ ढले… Continue Reading “क्या लिखूं”
लम्हें तल्ख़ थे, जिंदगी के कतरे तल्ख़ थे, पलटे जब चौराहे पर, सारे रास्ते तल्ख़ थे, क़दम क़दम के फासले, मीलों का सफ़र थे, जिंदगी के तालुकात, हमसे तल्ख़ थे, सुर्ख गुलाब से खिलते थे जो जज़्बात, अब जज़्बातों के अंदाज़ तल्ख़ थे, अलहदा… Continue Reading “तल्ख़ सी जिंदगी”