Writing confusions
गिद्ध, भेड़िए और लोमड़ीसब बैठें हैं, ताक में कौन पहले हाथ मरेगा लाशों के अंबार में। कौन बचाए मुर्दों कोभूखों का खाना बनने से,लोमड़ी जैसी आखों से,जंगली चोचों और पंजो से। थोड़े बचे हुए,झांक रहे दरारों सेलूटी उम्मीद, बुझे चेहरेचीख रहे अंधियारों से। गिद्ध,… Continue Reading “गिद्ध और लोमड़ी”
मैं हूं साधारण, आम हूँ मैं, दो हाथ दो पैर, दो- दो आँख और कान, सब कुछ सामान्य, सहज सबके सामान! साधारण हूँ मैं, खास जो होता है , मुझमे नही है, सब जैसा हूँ मैं, पर मुझ जैसे सब नहीं हैं, इसीलिए हूं… Continue Reading “साधारण”
सोचती हूं क्या लिखूं, अपने नाम के साथ तुम्हारा नाम लिखूं, बार बार श्याम लिखूं मुझे, तुम साथ रहो यह अरमान लिखूं, सोचती हूं क्या लिखूं, तुम को साथ साथ उड़ा कर ले चलूंं, तुमको बादल खुद को हवा लिखूं, छिप जाऊँ सांझ ढले… Continue Reading “क्या लिखूं”